
हाल ही में इसराइल और ईरान के बीच बढ़ती हुई उत्तेजना ने दोनों देशों को एक दूसरे पर हवाई हमले करने के लिए मजबूर कर दिया है। शनिवार को ईरान ने इसराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिसमें 21 लोग घायल हुए। इस हमले के जवाब में, इसराइल की वायु सेना ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर लगातार हमले जारी किए। इस संघर्ष ने मध्य-पूर्व में एक नया मोर्चा खोल दिया है और दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
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ईरान द्वारा किए गए मिसाइल हमले
ईरान के द्वारा शनिवार सुबह इसराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से कुछ मिसाइलों को इसराइल की वायु रक्षा प्रणालियों ने हवा में ही नष्ट कर दिया। हालांकि, कई मिसाइलें अपने निशाने पर लगने में सफल रही, जिससे कई इलाके प्रभावित हुए। इस हमले में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और घरों की छतें भी गिर गईं। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, घायलों में एक की हालत गंभीर है, जबकि अन्य को मामूली चोटें आई हैं।
इसराइल की जवाबी कार्रवाई
इसराइल डिफेंस फ़ोर्सेज़ (आईडीएफ़) ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए हैं। आईडीएफ़ के अनुसार, इन हमलों में ईरान के तीन प्रमुख सैन्य कमांडरों की मौत हो गई है। इसके बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई ने बयान दिया कि इसराइल को भारी चोट पहुंचेगी। इन घटनाओं के बाद, मध्य-पूर्व में स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस संकट के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से शांति की अपील की और तनाव को कम करने का आग्रह किया। वहीं, चीन ने इसराइल द्वारा ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन करने की निंदा की और इसे रोकने का आह्वान किया। अमेरिका ने भी ईरान को चेतावनी दी है कि अगर उसने अमेरिकी नागरिकों या ठिकानों को निशाना बनाया तो उसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव
अमेरिका ने इसराइल को पहले से चेतावनी दी थी कि वह आत्म-रक्षा के लिए ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इसराइल ने अमेरिका से पहले ही इन हमलों की जानकारी दी थी और इसे आत्म-रक्षा के तौर पर देखा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से उसके परमाणु कार्यक्रम पर समझौता करने की अपील की है, साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने ऐसा नहीं किया तो इसराइल और भी कड़े हमले कर सकता है।
चीन की स्थिति
चीन, जो ईरान का करीबी सहयोगी है, ने इसराइल द्वारा किए गए हमलों की आलोचना की और कहा कि ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा का सम्मान किया जाना चाहिए। चीन ने ईरान के परमाणु समझौते की रक्षा करने का भी समर्थन किया और इस मुद्दे पर शांति की अपील की।
इसराइल और ईरान के बीच तनाव का बढ़ना न केवल इन दोनों देशों के लिए बल्कि समग्र क्षेत्र के लिए भी खतरनाक संकेत है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका इस संकट को शांति से हल करने में महत्वपूर्ण हो सकती है। फिलहाल, युद्ध के बाद की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है और दोनों देशों के बीच युद्धविराम की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
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